What is Bond?(बॉन्ड क्या है?)
What is Bond? बॉन्ड के बारे में जानिए कुछ बुनियादी बातें
मान लीजिए आप एक कंपनी है जो कि करोड़ों रुपए कमा रही है परंतु आपकी कंपनी के एक्सपेंशन के लिए आपको पैसों की आवश्यकता है तो ऐसे में आप या तो लोन लेंगे जो कि कम से कम 18% से 25% तक के सालाना ब्याज हो सकता है या फिर आप बांड जारी कर पब्लिक से पैसा उठाएंगे ऐसे में पब्लिक को भी फायदा होगा और आपकी कंपनी को भी फायदा होगा पब्लिक को फायदा ऐसे होगा की कंपनी पब्लिक को सालाना एक फिक्स रेट ऑफ इंटरेस्ट देगी जो की एफडी या अन्य किसी भी सिक्योर इन्वेस्टमेंट से ज्यादा होगा जैसे कि 10% से 12% तक और इसमें कंपनी का यह फायदा होगा कि कंपनी को लोन न लेकर बॉन्ड जारी करके पैसा मिल जाएगा बांड इसी तरह से कार्य करता है।
Bond को बहुत सुरक्षित माना जाता है. खासकर सरकारी बॉन्ड बहुत सुरक्षित है. कारण यह है कि इनमें सरकार की गारंटी होती है
1. आसान शब्दों में कहें तो बॉन्ड पैसा जुटाने का एक माध्यम है. बॉन्ड से जुटाए गया पैसा कर्ज की श्रेणी में आता है. सरकार अपनी आय और खर्च के अंतर को पूरा करने के लिए बॉन्ड के जरिए पैसा उधार लेती है. आप यह भी कह सकते हैं कि वह कर्ज लेती है. इस कर्ज को उसे तय समय के बाद लौटाना पड़ता है. सरकार कर्ज लेने के लिए जो बॉन्ड जारी करती है, उसे सरकारी बॉन्ड कहा जाता है. कंपनी भी अपने कारोबार के विस्तार के लिए बॉन्ड से पैसा जुटाती है. इसे कॉर्पोरेट बॉन्ड कहा जाता है.
2. बॉन्ड को बहुत सुरक्षित माना जाता है. खासकर सरकारी बॉन्ड बहुत सुरक्षित है. कारण यह है कि इनमें सरकार की गारंटी होती है. कंपनी का बॉन्ड उसकी वित्तीय स्थिति के हिसाब से सुरक्षित होता है. इसका मतलब यह है कि अगर कंपनी की वित्तीय स्थिति ठोस है तो उसका बॉन्ड भी सुरक्षित होगा.
3. बॉन्ड पर पहले से तय दर से ब्याज मिलता है. इसे कूपन कहा जाता है. चूंकि बॉन्ड की ब्याज दर पहले से तय होती है, इसलिए इसे फिक्स्ड रेट इंस्ट्रूमेंट भी कहा जाता है. बॉन्ड की अवधि भी तय होती है. इसे मैच्योरिटी पीरियड कहते हैं. बॉन्ड की मैच्योरिटी अवधि एक से 30 साल तक हो सकती है.बॉन्ड की ब्याज दर निश्चित होती है. इसमें बदलाव नहीं होता है.
4. बॉन्ड से मिलने वाले रिटर्न को यील्ड कहा जाता है. बॉन्ड की यील्ड और इसके मूल्य का आपस में उलटा संबंध होता है. इसका मतलब है कि बॉन्ड की कीमत घटने पर उसकी यील्ड बढ़ जाती है. बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर उसकी यील्ड घट जाती है. इसे एक उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है.
मान लीजिए एक बॉन्ड की कीमत 100 रुपये है. उसका कूपन रेट (ब्याज दर) 10 फीसदी है. चूंकि, बॉन्ड की ट्रेडिंग होती है, जिसमें इसका मूल्य घटता-बढ़ता है. 10 फीसदी की दर से 100 रुपये के बॉन्ड पर 10 रुपये ब्याज एक साल में मिलेगा. अब मान लीजिए बाजार में बॉन्डी का मूल्य घटकर 90 रुपये रह जाता है. इस पर आपको 10 रुपये ब्याज (बॉन्ड का कूपन रेट नहीं बदलता है) मिलेगा. इस तरह आपको 90 रुपये निवेश पर 10 रुपये का ब्याज मिलेगा. इस तरह बॉन्ड का मूल्य घटने पर उसकी यील्ड बढ़ जाती है. ठीक इसके उलट बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर यील्ड घट जाती है.
भारत में टैक्स फ्री बॉन्ड में निवेश करने का चलन लंबे समय से रहा है. अभी बॉन्ड निवेशकों के पास निवेश के दो विकल्प मौजूद है - भारत बॉन्ड ईटीएफ (बीबीईटीएफ) और टैक्स फ्री बॉन्ड. दोनों ही विकल्प छोटी और बड़ी होनों ही अवधियों में मौजूद है।
भारत बॉन्ड ईटीएफ AAA रेटिंग वाली सरकारी कंपनियों के डेट सिक्योरिटीज में निवेश करता है. इसकी फंड फीस किफायती है और इसकी ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज में होती है. भारक बॉन्ड की नई किस्त में निवेश का आज अखिरी दिन है.
इसकी दूसरी किस्त में दो सीरीज के बॉन्ड पेश किए गए हैं, जिसमें पहले में 5 साल की मैच्योरिटी और दूसरे में 11 साल की मैच्योरिटी है. ये क्रमश: अप्रैल 2025 और अप्रैल 2031 में मैच्योर होगे. इनका बेंचमार्क निफ्टी भारत बॉऩ्ड इंडेक्स होगा।
एडलइवाइज म्यूचुअल फंड की सीईओ राधिका गुप्ता ने ईटी हिंदी से कहा, "एक निवेशक के पूरे पोर्टफोलियो में नियमित आय या डेट की हिस्सेदारी उसकी जोखिम क्षमता पर आधारित होनी चाहिए. कम जोखिम क्षमता वाले निवेशको को ऐसे विकल्पों पर जोर देना चाहिए।
एडलइवाइज म्यूचुअल फंड की सीईओ राधिका गुप्ता ने ईटी हिंदी से कहा, "एक निवेशक के पूरे पोर्टफोलियो में नियमित आय या डेट की हिस्सेदारी उसकी जोखिम क्षमता पर आधारित होनी चाहिए. कम जोखिम क्षमता वाले निवेशको को ऐसे विकल्पों पर जोर देना चाहिए।
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